राजीव गाँधी क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, सवाई माधोपुर ने स्कूली पाठ्यक्रम पर आधारित विभिन्न विषयगत गैलरियों और प्रदर्शनियों का निर्माण किया जो आगंतुकों के ज्ञानवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
गैलरियाँ
राजस्थान में जैव-विविधता:
‘राजस्थान की जैव विविधता’ पर बनाई गई गैलरी राजस्थान की अनूठी जैव विविधता, वन के प्रकार और प्रकृति के साथइसके संबंध को प्रदर्शित करती है। इस प्रदर्शनी में मुख्य रूप से राजस्थान की जैव-विविधता की तुलना भारत की समस्त जैव-विविधता से की गई है।ऽ यह गैलरी मरूस्थल के जीवों, औषधीय पौधों और लुप्तप्राय वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी देती है।
जीवों और वन्सपति के मूल्य को दर्शाती प्राकृतिक रंगों से बनी मांडणा चित्रकला/जनजातीय कला को प्रदर्शित किया गया है।
‘राजस्थान की जैव विविधता’ में, मनुष्य और प्रकृति, बिश्नोई समुदाय, वन के दो पहलुओँ -वनीकरण और वनोन्मूलन पर आधारित डायोरामा हैं, इसमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पतिय और जीवों को भी दिखाया गया है।
डिजिटल पैनल द्वारा राजस्थान के इको-जोन, सामाजिक और धार्मिक मूल्यों के जीवों और वनस्पति की व्याख्या की गई है।
जीवमंडल (बायोस्फीयर), भारतीय राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य को डिजिटल रूप में समझाने वाला कायोस्क।
सामान्य और वैज्ञानिक नामों के साथ जीव-वन्सपति की झलक दिखाने वाले डिजिटल फोटो फ्रेम।
डिजिटल कायोस्क पर बहुविक्लपीय प्रश्न दिखाए जाते हैं, आगंतुक उनका उत्तर दे सकते हैं।
पश्चिमी घाटों की जैव विविधता:
पश्चिमी घाट या सह्याद्री वे पर्वत श्रृंखलाएँ हैं जो विभिन्न राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में फैली हुई हैं।
पश्चिमी घाटों की औसत ऊंचाई 1200 मीटर है, तथा अनामुड़ी, केरल इनका उच्चतम शिखर है जो समुद्र तल से 2695 मीटर पर है। ये भव्य पर्वत विश्व के जैव-विविधता हॉट-स्पॉट्स में से एक हैं जहाँ वनस्पति और जीवों की कई स्थानिक प्रजातियाँ हैं।
लायन टेल मकाक, नीलगिरि तहर, मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक यहाँ पाए जाने वाली कुछ स्थानिक प्रजातियाँ हैं। इनके अलावा यहाँ दुर्लभ और स्थानिक ऑर्किड की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं। प्रायद्वीपीय भारत में संसाधन उपलब्ध कराने वाली ये पर्वत श्रंखलाएँ मानव अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसा ही एक संसाधन है पानी। प्रायद्वीपीय भारत से गुजरने वाली कई बारहमासी नदियों जैसे गोदावरी, कृष्णा, तुंगभद्रा, कावेरी का उद्गम पश्चिमी घाट में स्थित है। वर्तमान में ये पर्वत अनियोजित विकास, अवैध खनन और वनोन्मूलन के कारण गंभीर खतरे में हैं।
‘पश्चिमी घाट गैलरी’ पश्चिमी घाटों की जैव विविधता, यहाँ के लोगों और उनकी संस्कृति के साथ-साथ वर्तमान समस्याओं को बखूबी दर्शाती है।
राजस्थान में पक्षी विविधता:
इस गैलरी में ‘वॉक थरू फॉरेस्ट’, प्रांगण के पक्षियों, डेजर्ट नेशनल पार्क और भारत के राष्ट्रीय पक्षी-मोर को खुले डायोरामा में दर्शाया गया है।
स्कैवेंजर पक्षियों, सांभर झील के ग्रेटर फ्लेमिंगो, द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड(गोडावण), विभिन्न पक्षियों के अंडे , सबसे ऊँचा उड़ने वाला पक्षी-सारस क्रेन और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के विभिन्न प्रवासी तथा घरेलू पक्षियों को दर्शाता डायोरामा तैयार किया गया है।
चोंच और पैरों के विभिन्न प्रकार, अर्ध-शुष्क क्षेत्र के पक्षियों और कुछ दिलचस्प पक्षियों को टैक्सीडर्मी मॉडल सहित शोकेस में प्रदर्शित किया गया है।
यह गैलरी विभिन्न समस्याओं, तथ्यों, मूल्यों तथा पक्षियों के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों, महत्वपूर्ण भूमिकाओं के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों, धार्मिक महत्व, लोक साहित्य और आर्थिक मूल्य को स्पष्ट करती है। इस प्रयोजन के लिए गैलरी में विभिन्न पैनल हैं: एवियन ट्री- पक्षियों की उत्पत्ति, राजस्थान और समस्त भारत में पाए जाने वाले पक्षी, आवास, कनेक्टिंग लिंक-आर्कियोप्टेरिक्स शिकार करने वाले पक्षी, पक्षियों के अनुकूलन और उड़ान के तरीके, प्राकृतिक वास्तुकला-पक्षियों का घोंसला, पतंग उत्सव, डॉ सलीम अली- बर्ड मैन, परागण में पक्षियों की भूमिका आदि।
मरुस्थलीय वनस्पतिय और जीवों में अनुकूलन:
यह गैलरी थार मरुस्थल की प्रतिकूल परिस्थितियों में मरुस्थलीय वनस्पतियों और जीवों के कठिन जीवन की व्याख्या करती है।
गोह (मॉनिटर लिजर्ड), कैलोट और हेजहॉग के माउंटेड नमूनों को काँच से ढके टेबल टॉप में प्रदर्शित किया गया है।
टेक्स्ट पैनल के साथ लगाए गए पाँच धारियों वाली गिलहरी, काले हिरण और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के डायोरामा मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र की व्याख्या करते हैं।
रणथंभौर टाइगर रिज़र्व के वनस्पति और जीव
यह गैलरी ‘‘रणथंभौर टाइगर रिजर्व’’ के बारे में बताती है। रणथंभौर टाइगर रिज़र्व , सवाई माधोपुरआने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस गैलरी में तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घे , बाघ, टाइगर हेड ट्राफी और इनके आवास को डायोरामा द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
इस गैलरी में उन प्रमुख जीवों एवं वनस्पतियों के बारे में बताया गया है जिन्होंने बाघों और तेंदुओं आदि की आबादी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्तनधारी श्रृंखला:
इस गैलरी में वास्तविक तथा दुर्लभ टैक्सीडर्मी नमूनों को सुंदर ढंग से काँच से ढके शोकेस में प्रदर्शित किया गया है।
स्लेंडर लोरिस, सुनहरा लंगूर और ग्रे लंगूर जैसे प्राइमेट्स के नमूने स्तनधारियों की उत्पत्ति/विकास को दर्शाते हैं।
स्लॉथ बीयर (रीछ), चीतल, तेंदुआ बिल्ली (लेपर्ड कैट), भारतीय पैंगोलिन, हिम तेंदुआ, मार्बल्ड कैट आर्माडिलो, नीलगिरि तहर, लाल पांडा और माउस डीयर को आगंतुकों के ज्ञानवर्धन के लिए विवरण के साथ विभिन्न शोकेसों में प्रदर्शित किया गया है।
चिंकारा और सफेद बाघ के साथ डायोरामा में शेरनी और उसके आवास को प्रदर्शित किया गया है।
प्रदर्शनियाँ :
भारत की जनजातियाँ:
यह प्रदर्शनी राजस्थान की जनजातियों जैसे ढाँका, कथौड़ी, मीणा, डामोर, भील, नायक, सहरिया, गरासिया आदि पर केंद्रित है।
यह भारत में जनजातीय विकास-सामाजिक कल्याण, जनजातियों के पारंपरिक ज्ञान, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक जीवन आदि को भी दर्शाती है।
एक डायोरामा कथौड़ी जनजाति तथा उनके प्राकृतिक घर को समर्पित है।
भारत के बीज
‘भारत के बीज’ कृषि परंपरा, अनाज, दाल , तिलहन औरसूखे मेवों पर केंद्रित हैं। यह गैलरी में मसालों, बीजों, बीज भंडारण तथा परागण, बीज और इसके संवितरण पर आधारित है। ।
संग्रहालय में फ़सल कटाई पर विशेष डायोरामा तैयार किया गया है।
भारत के धरोहर स्थल :
यह प्रदर्शनी भारत के प्राकृतिक धरोहर स्थलों, सांस्कृतिक धरोहर स्थलों और मिश्रित धरोहर स्थलों आदि पर केंद्रित है।
भारत के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल आगंतुकों को जागरूक करने के लिए बहुत सार्थक सिद्ध होते हैं।
प्राकृतिक धरोहर स्थलों के मूल्यों को समझने के लिए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पर लघु डियोरामा भी विकसित किया गया है।
भारत का कपड़ा :
यह प्रदर्शनी भारतीय कपड़ा उद्योग पर केंद्रित है। यह कपड़े के स्रोत और फाइबर के प्रकार, भारत में कपड़े की उत्पत्ति और इतिहास, भारत के कशीदाकारी वस्त्र, भारत में रंगे वस्त्रों के विरोध, भारत के प्रिंटिड और हाथ से बुने हुए वस्त्रों आदि के बारे में बताती है जिससे हमारी समृद्ध संस्कृति का परिचय मिलता है।
भारत के विभिन्न प्रांतों के वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं ।
जल संरक्षण:
यह प्रदर्शनी भारत में औसत वर्षा, जल संबंधी तथ्य, जल चक्र, जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, भारत में जल प्रदूषण, जल संरक्षण में वनीकरण की भूमिका आदि पर केंद्रित है।
‘जल बचाओ-जीवन बचाओ’ पर मॉडल भी प्रदर्शित किया गया है।
प्लास्टिक प्रदूषण:
यह प्रदर्शनी प्लास्टिक प्रदूषण पर केंद्रित है: पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा, प्लास्टिक के प्रकार, प्लास्टिक प्रदूषण के कारण, पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभाव और प्लास्टिक के प्रयोग को कम कर, उसका पुनः उपयोग और रीसायकल कर प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने संबंधी जानकारी आदि।
जैविक नमूनों के वैज्ञानिक रेखाचित्र/वर्णन:
यह अनोखी प्रदर्शनी है जिसमें क्रो क्विल (Crow Quill) ‘डिप निब’(Dip-Nib) का प्रयोग किया गया है: भारतीय इंक की आइसिंग का प्रयोग किया गया है तथा जैविक नमूनों को पारंपरिक ज्ञान का अनुसरण करते हुए संरक्षित किया गया है।
‘जैविक नमूनों के वैज्ञानिक रेखाचित्र/वर्णन- माइक्रोस्कोपिक’ – इस प्रदर्शनी में जड़ों, पत्तियों , तनों, लार्वा, ऊतक, कोशिका और अंगों आदि के अनुदैर्ध्य (लॉन्गिट्यूडिनल) और अनुप्रस्थ(ट्रांसवर्स)खंड को दिखाया गया है।
आर्थ्रोपोड्स, एनेलिड्स, मोलस्क, हेल्मिंथेस आदि के नमूनों के साथ-साथ एककोशीय जीवों और वनस्पतियों को भी हाइलाइट किया गया है।
विकलांग बच्चों (एम.आर, एच.आई, वी.आई और पी.एच) द्वार गतिविधियों पर प्रदर्शनी:
यह प्रदर्शनी न उन विकलांग बच्चों को समर्पित है, जिन्होंने संग्रहालय द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओँ जैसे कोलाज, सैंड आर्ट, पेंटिंग, स्वर्ल आर्ट, स्टिक आर्ट और क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता आदि में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।