1978 से देश की राजधानी में रा.प्रा.वि.सं. की स्थापना और सफल संचालन।
औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सहायक होने और जनता के बीच पर्यावरण जागरूकता लाने के लिए विभिन्न प्रकार की शैक्षिक और विस्तार सेवाओं का आयोजन किया गया।
पर्यावरणीय और संरक्षण मुद्दों पर लोकप्रिय साहित्य का प्रकाशन।
अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुँचने के लिए प्रकृति और पर्यावरण पर कई आंतरिक और बाह्य प्रदर्शनियाँ लगाई गईं।
पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से यूएसए, यूएसएसआर, जापान और नेपाल में आयोजित ‘भारत के त्योहार’ नामक कार्यक्रम में सहभागिता की।
मई 1995 में मैसूर (दक्षिणी क्षेत्र), सितंबर 1997 में भोपाल (मध्य क्षेत्र) और अगस्त 2004 में भुवनेश्वर (पूर्वी क्षेत्र), दिसंबर 2007 में सवाई माधोपुर (पश्चिमी क्षेत्र) में चार क्षेत्रीय कार्यालयों (क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालयों) की स्थापना और संचालन किया गया। पाँचवाँ क्षेत्रीय कार्यालय गंगटोक (पूर्वोत्तर क्षेत्र) में जल्द ही शुरू किया जाना है।
(बी) भावी :
कार्यालय की अपनी भूमि पर उपयुक्त रूप से डिजाइन की गई इमारत में अत्याधुनिक राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की स्थापना करना।
रा.प्रा.वि.सं. और इसके क्षेत्रीय कार्यालयों में उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से भारत में राज्य-स्तरीय संगठनों को जोड़ते हुए, प्राकृतिक संग्रहालय और जैविक संग्रह का नेटवर्क स्थापित करना।
प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय से संबंधित संग्रहालय-विज्ञान पर शैक्षिक संगोष्ठियाँ/सम्मेलन/कार्यशालाएँ आयोजित करना।
समय-समय पर भारत में प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालयों की राष्ट्र स्तरीय स्थिति का सर्वेक्षण करना।
प्राकृतिक विज्ञान खंडों/संग्रहों के साथ अन्य भारतीय संग्रहालयों/संगठनों की वृत्तिक सहायता करना।
प्राकृतिक धरोहर के विभिन्न विषयों पर फिल्मों, वीडियो, सीडी-रोम्स, ऑडियो रिकॉर्डिंग (पशु-पक्षियों की आवाज़ें) आदि के साथ पर्यावरण शिक्षा पर राष्ट्रीय संसाधन केंद्र स्थापित करना।
प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालयों में कार्यरत कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्राकृतिक व संग्रहालय-विज्ञान प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना कर न केवल भारत, बल्कि सार्क देशों में संबंधित कर्मचारियों को इस क्षेत्र में सक्षम बनाना।
ऐसे मुख्य कार्यक्षेत्रों पर राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करना, जिनमें रा.प्रा.वि.सं. और उसके क्षेत्रीय कार्यालयों ने पहले ही उत्कृष्ट कार्य किया है: संग्रहालय आगंतुक अध्ययन, संग्रहालय अभिगम अध्ययन, अमूर्त प्राकृतिक धरोहर आदि।
आईसीओएम (अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद) की विभिन्न समितियों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वृत्तिक विकास करना।
लक्ष्य
राप्राविसं अपने पूर्ण रूप से स्थापित क्षेत्रीय कार्यालयों सहित आत्मनिर्भर व अत्याधुनिक सुविधा के रूप में अपने परिसर में स्थापित होगा। यह पर्यावरण शिक्षा और वृत्तिक प्राकृतिक संग्रहालय- विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान होगा। सार्वजनिक सेवा संस्थान के रूप में संग्रहालय के संसाधन सभी आगंतुकों के लिए उपलब्ध कराए जाएँगे। क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर राप्राविसं की गतिविधियों का विस्तार करने हेतु राप्राविसं और उसके क्षेत्रीय कार्यालयों की नेटवर्किंग को विकसित किया जाएगा।
आगंतुकों के लिए सेवा
शैक्षिक कार्यक्रम: रा.प्रा.वि.सं. वर्ष भर बड़ी संख्या में शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इन्हें व्याख्या, विस्तार, इन-हाउज़ (in-house) तथा आउटरीच (outreach) कार्यक्रमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। व्याख्या कार्यक्रम ऐसी सेवा है जो संग्रहालय दीर्घाओं में प्रदान की जाती है। विस्तार कार्यक्रमों में ऐसी सेवाएँ शामिल हैं जो संग्रहालय के बाहर उन स्कूलों को प्रदान की जाती हैं जो पहले कभी संग्रहालय आए हों। आउटरीच कार्यक्रमों में उन लोगों के लिए विशेष सेवाएँ शामिल हैं जो संग्रहालय नहीं आ सकते। जो लोग आमतौर पर संग्रहालय नहीं आते उनके लिए इन-हाउज़ कार्यक्रम की विशेष सेवा संग्रहालय में ही प्रदान की जाती है।
गाइडेड टूर: अनुरोध पर रा.प्रा.वि.सं./पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आगंतुकों को प्रशिक्षित शैक्षिक सहायक, गैलरी/इंदिरा पर्यावरण भवन (ग्रीन बिल्डिंग) का गाइडेड टूर कराते हैं।
अवकाश कार्यक्रम : गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों के दौरान, संग्रहालय बड़ी संख्या में इन-हाउज़ और आउटरीच कार्यक्रम तथा प्रकृति शिविर लगाने जैसे कई विशेष कार्यक्रम आयोजित करता है। कार्यक्रम में संग्रहालय अध्ययन, चर्चा सत्र, प्रकृति अन्वेषण, शहरी पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या का अवलोकन और विश्लेषण, व्यक्तिगत परियोजना कार्य और भारत के राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभ्यारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र का अनुभव शामिल हैं।
विशिष्ट बच्चों के लिए कार्यक्रम : दृष्टि, बोलने/सुनने, लोकोमोशन (चलने), मस्तिष्क आदि से संबंधित विशिष्ट क्षमताओं वाले बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राप्राविसं बड़ी संख्या में शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इनमें संग्रहालय गैलरियों के विशेष रूप से गाइडेड टूर, ‘टच, फील ऐंड लर्न ’कार्यक्रम, ऑडियो-एड और ब्रेल सामग्री का उपयोग किया जाता है। विशेष प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। संग्रहालय अभिगम्यता कार्यक्रम के अंतर्गत, राप्राविसं विशिष्ट बच्चों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संग्रहालय कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के लिए, उनमें वृत्तिक क्षमता का निर्माण करने के उद्देश्य से कार्यशालाओं का आयोजन भी करता है।
शिक्षक अभिमुखी कार्यशालाएंएँ : राप्राविसं के प्रमुख दर्शकों में स्कूली शिक्षक भी शामिल हैं, जिनके लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इस तरह की कार्यशालाओं का उद्देश्य शिक्षकों को संग्रहालय में उपलब्ध संसाधन सामग्री से परिचित कराना है जो शिक्षण में सहायक हो सकते हैं।
प्रकाशन : रा.प्रा.वि.सं. पर्यावरणीय विषयों पर साहित्य और समय-समय पर बच्चों के लिए लोकप्रिय वर्कशीट और वर्कबुक प्रकाशित करता है । प्रकाशित साहित्य में चुनिंदा प्रदर्शों पर तैयार ‘‘टेक-होम लीफलेट्स’’ और युवाओं के लिए प्रकृति अध्ययन परियोजना पैकेज शामिल हैं। स्कूलों के अनुरोध पर ये उपलब्ध कराए जाते हैं।